लेख और कविताएं सुंदर हैं। आपका ब्लॉग आकाश की तरह कल्पनाशील है। इसमें आपकी कल्पना की छोटी छोटी दिल को छू लेने वाली उड़ानें हैं। उड़ानें भरते रहिए और इस सुंदर धरती पर अपने निशानात छोड़ते रहिए। रवींद्र व्यास, इंदौर
सीरज,जनसत्ता के लेख अच्छे हैं। मिलना कब होगा?
भाई सीरज,आपको जनसत्ता में पढ़ता रहता हूं। अच्छा लिखते हैं। यह लेख भी कमाल का है। आगे भी इंतजार रहेगा। शुभकामनाएं।
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लेख और कविताएं सुंदर हैं। आपका ब्लॉग आकाश की तरह कल्पनाशील है। इसमें आपकी कल्पना की छोटी छोटी दिल को छू लेने वाली उड़ानें हैं। उड़ानें भरते रहिए और इस सुंदर धरती पर अपने निशानात छोड़ते रहिए।
रवींद्र व्यास, इंदौर
सीरज,जनसत्ता के लेख अच्छे हैं।
मिलना कब होगा?
भाई सीरज,
आपको जनसत्ता में पढ़ता रहता हूं। अच्छा लिखते हैं। यह लेख भी कमाल का है। आगे भी इंतजार रहेगा। शुभकामनाएं।
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